Gurugram News Network-नगर निगम गुरुग्राम का गठन हुए भले ही 15 साल बीत गए हों, लेकिन शहर के हालात ठीक करने में नगर निगम विफल रहा है। दो हजार करोड़ रुपए नगर निगम की तरफ से गुरुग्राम के विकास पर खर्च किए गए हैं, लेकिन यह विकास कार्य भी शहर की सूरत को ठीक करने में नाकाम रहे हैं। आज जहां भी नजर घुमाओ तो टूटी सड़के, गंदगी के ढेर, उफनते सीवर नगर निगम की नाकामयाबी को बयां कर रहे हैं। ऐसी कई योजनाएं हैं जो आज भी फाइलों में अटकी हुई हैं।
अपने 15 साल के कार्यकाल के दौरान निगम अपना कार्यालय तक नहीं बना पाया है। हालांकि कार्यालय बनाने के लिए निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। मूलभूत सुविधाओं के लिए आज भी जनता को दर-बदर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ता है। अधिकारियों द्वारा समस्याओं का समाधान करने की बजाय लोगों को समाधान के लिए तारीख दे दी जाती है जिससे गुस्से में आकर लोग प्रदर्शन करते नजर आते हैं। शहर के हालात आज 2008 से भी बदतर हैं।
नगर निगम का इस वित्तीय वर्ष में बजट चार हजार करोड़ से ज्यादा है, लेकिन अभी भी नगर निगम का ध्यान बड़े प्रोजेक्टों की तरफ नहीं है। इन बड़े प्रोजेक्ट में सीवर लाइन, मास्टर ड्रेनेज, पशु डेयरी, स्लॉटर हाउस, मीट मार्केट जैसे प्रोजेक्टों को नगर निगम ने ठंडे बस्ते में ही डाल दिया है। इन योजनाओं को सिरे चढ़ाया जाए तो शहर से कई समस्याओं का स्थाई तौर पर निदान हो सकता है।
हालांकि नगर निगम के अधिकारी शहर में लोगों की सुविधा के अनुसार कार्य कराए जाने का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन यह कार्य कहां हो रहे हैं इसका कोई पता नहीं है। नगर निगम के अधीक्षक अभियंता राधे श्याम की मानें तो शहर में बड़ी परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। शहर के हालातों में पहले से सुधार है। जल्द ही लोगों की अन्य समस्याओं का भी समाधान हो जाएगा।